Sunday, May 8, 2011

संगोष्ठी : नये मीडिया में नयी संभावनाएं

     



अपनी भावनाओं को प्रकट करने की शैली को ही हम अभिव्यक्ति कहते हैं , जो मानव जीवन के लिए प्राण-वायु की तरह बहुत ज़रूरी है. इंसान बोल कर और  लिख कर ,चिल्ला कर और चीख कर ,रो कर और हँस कर ,  गा कर  और नाच कर  , कई तरह से स्वयम को अभिव्यक्त करता है. साहित्य ,कला , संस्कृति पर आधारित हर तरह का सृजन  मानव-अभिव्यक्ति का ही दूसरा रूप हैं . मुद्रण तकनीक के आविष्कार से पुस्तकों और पत्र-पत्रिकाओं के प्रकाशन की शुरुआत हुई .प्रिंट-मीडिया मानव-जीवन में अभिव्यक्ति का  एक महत्वपूर्ण ज़रिया  बना . संचार क्रान्ति ने रेडियो और टेलीविजन को भी मनुष्य के लिए अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम बना दिया . अब इसकी अगली कड़ी में इंटरनेट और वेबसाईट के बाद उनके नए अवतार फेसबुक, ट्विटर , ऑर्कुट और ब्लॉग के नाम से प्रकट हुए  हैं . इन्हें नये मीडिया के नाम से तेजी से पहचान मिल रही है. दुनिया की लगभग हर भाषा में ब्लॉग लेखन लोकप्रिय होता जा रहा है. भारत में भी हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी में आम नागरिकों की अभिव्यक्ति के एक नए मंच  के रूप में यह  अपना स्थान बना रहा है. इंटरनेट उपयोगकर्ताओं में ब्लॉगिंग अपने विचारों के  सहज-सरल प्रस्तुतिकरण की एक नयी शैली के रूप में विकसित हो रही है. इसमें व्यापक संभावनाएं भी हैं और चुनौतियां भी . वैसे देखा जाए तो किसी भी नए कार्य में चुनौती तो आती ही है . उसका मुकाबला करते हुए धैर्य से आगे बढ़ते चलें ,तभी मुकाम हासिल होगा . बहरहाल हिन्दी ब्लॉगिंग को अब एक नया मीडिया मान कर उसमे संभावनाएं और चुनौतियां भी तलाशी जाने लगी है.  देवभूमि हिमाचल से आया एक समाचार तो हमें यही संकेत दे रहा है. आप भी देख लीजिए ----
                    

 
इंटरनेट ने इंसान को 'लोकल' से 'ग्लोबल' बना दिया---ललित शर्मा
 

   हिमाचल प्रदेश विश्व विद्यालय के क्षेत्रीय अध्ययन केन्द्र  धर्मशाला में इस महीने की चार तारीख को ' हिंदी भाषा और नवीन मीडिया: संभावनाएं एवं चुनौतियाँ" विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी  का आयोजन किया गया,  हिंदी एवं पत्रकारिता विभाग के विद्यार्थियों ने विशेष रूप से आयोजन का  लाभ उठाया. संगोष्ठी में छत्तीसगढ़ के जाने-माने ब्लॉगर श्री  ललित शर्मा, क्षेत्रीय अध्ययन केंद्र  के  निदेशक श्री कुलदीप चंद अग्निहोत्री, हिंदी विभाग केश्री  केवल राम, पत्रकारिता विभाग के श्री जय प्रकाशऔर श्री जय सिंह सहित अध्ययन केन्द्र के अन्य विभागों के अनेक प्राध्यापक भी उपस्थित थे. .
  संगोष्ठी का शुभारम्भ करते हुएश्री  कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने हिंदी भाषा और नवीन मीडिया की प्रासंगिकता और उपयोगिता पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि नये मीडिया ने आम जनता के लिए अभिव्यक्ति के रास्ते खोल दिये है, अखबारों  और  पत्रिकाओं को अभिव्यक्ति का माध्यम बनाने के लिए लाखों रुपयों  की जरुरत होती है. ब्लॉग जैसे माध्यम आने से मात्र कुछ ही खर्च में हम अपनी बात लोगों तक पंहुचा सकते है.
श्री ललित शर्मा ने अपने व्याख्यान में कहा कि ब्लॉग जैसे नये मीडिया ने जनता को अभिव्यक्ति का वैकल्पिक साधन उपलब्ध कराया है. इंटरनेट ने आम नेट धारक के साथ-साथ आम इंसान को भी 'लोकल 'से 'ग्लोबल' बना दिया है, अख़बारों में स्पेस की कमी के कारण आम नागरिकों  के विचारों के प्रकाशन के लिए पर्याप्त स्थान नहीं है, इसलिए सूचना तकनीक के इस युग में इंटरनेट के सशक्त माध्यम ब्लॉग के द्वारा हम अपने विचार रख सकते है. ब्लॉग के प्रभाव का तेजी  से विस्तार हो रहा है. आज ब्लॉगर को अपनी बात प्रकाशित करने के लिए किसी संपादक की स्वीकृति नहीं लेनी पड़ती. वह स्वयं सम्पादक, प्रकाशक एवं मुद्रक है. नेट फेसबुक, ऑरकुट,ट्विटरऔर यू -ट्यूब जैसे अन्य साधन भी हैं. इन मंचो से भी अपने विचार लोगों तक पहुचाये जा सकते है. यह नया  मीडिया भले ही अभी शैशव काल में है, लेकिन इसने अपने  प्रभाव से दुनिया  को परिचित करवा दिया है. मिस्त्र  और  ट्यूनीशिया में प्रबल जन-आंदोलन से हुआ  सत्ता परिवर्तन इसका ताजा उदाहरण है.. ट्यूनीशिया में १४ बार जेल जाने वाले ब्लॉगर श्री सलीम को अंतरिम सरकार में खेल एवं युवा मामलों का मंत्री बनाया गया है. इनके ब्लॉग ने वहाँ जन आन्दोलन खड़ा करने में एक महती भूमिका निभाई थी.  
       श्री शर्मा ने कहा कि भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ जन-लोकपाल क़ानून की मांग को लेकर श्री अन्ना हजारे के जन-आंदोलन को मिले व्यापक जन-समर्थन  में इस नये मीडिया की भूमिका को खारिज नहीं किया  जा सकता.  देश के किसी भी कोने में बैठा व्यक्ति मात्र एक कंप्यूटर और इंटरनेट के माध्यम से विश्व-व्यापी सूचनाओं के महा तंत्र से जुड़ जाता है. आज से लगभग दस  वर्ष पहले नेट पर हिंदी उपलब्ध नहीं थी. यूनिकोड फॉण्ट आने के बाद ब्लॉगर्स  के द्वारा हिंदी का प्रचार-प्रसार निस्वार्थ रूप से किया जा रहा है . इसके  फलस्वरूप हम नेट पर सर्च इंजन से हिंदी पाते हैं. वर्त्तमान में लोक तन्त्र का चौथा स्तम्भ कहलाने  वाले इलेक्ट्रानिक एवं प्रिंट मीडिया में प्रभु ,  राडिया एवं बरखा दत्त के  भ्रष्ट्र कारनामे सामने आने   पर  अब इनकी  विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे  हैं. ऐसी स्थिति में यह नवीन  मीडिया अपनी सार्थक भूमिका निभाने के लिए कमर कस कर तैयार है.
   आभार प्रदर्शन करते हुए हिंदी विभाग के केवल राम ने कहा कि इंटर नेट पर हिंदी की उपलब्धता ब्लॉग के कारण ही है. उन्होंने  हिंदी भाषा और साहित्य से सम्बन्धित  विभिन्न साईट्स और  ब्लॉग लेखन और उसके तकनीकी पहलुओं की जाकारी दी और  विद्यार्थियों को ब्लॉग लेखन के लिए प्रेरित किया .. कार्यक्रम का संचालन पत्रकारिता विभाग के श्री जय प्रकाश ने किया. आयोजन में श्री केवल राम के साथ हिंदी विभाग के मनीष मांडला, प्रवीण कुमार , सुदेश, बिट्टू राम  तथा ,ज्योति और मनुप्रिया ने विशेष सहयोग दिया
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