Tuesday, July 17, 2012

वरिष्ठ साहित्यकार देवीसिंह चौहान का निधन


रायपुर १७ जुलाई / वरिष्ठ कवि और साहित्यकार तथा छत्तीसगढ़ हिन्दी साहित्य मण्डल रायपुर के पूर्व अध्यक्ष प्रो. देवीसिंह चौहान का रविवार १५ जुलाई की रात यहाँ चौबे कॉलोनी स्थित उनके घर में निधन हो गया .स्वर्गीय श्री चौहान ने विगत लगभग छह दशकों से छत्तीसगढ़ को अपनी कर्म भूमि बनाकर राजधानी रायपुर में निवास करते हुए अपना सम्पूर्ण जीवन अध्यापन और साहित्य सेवा में लगा दिया। वह वीर रस के ओजस्वी कवि होने के  साथ-साथ एक अच्छे लेखक भी थे। बच्चों के साहित्य में भी उनकी विशेष दिलचस्पी थी। श्री चौहान की 30 किताबें प्रकाशित हुई, जिनमें कई काव्य संग्रह और महान विभूतियों तथा स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की जीवन गाथा पर आधारित पुस्तकें भी शामिल हैं .
   उत्तर प्रदेश में आगरा के पास यमुना नदी के तटवर्ती ग्राम रूदमुली में दस मार्च 1923 को जन्मे साहित्यकार श्री देवीसिंह चौहान ने भरतपुर और आगरा में पांच वर्षो तक और रायपुर (छत्तीसगढ़) के एक शताब्दी से भी अधिक पुराने राजकुमार कॉलेज में लगातार 38 वर्षो तक अध्यापन कार्य किया। वह इस कॉलेज में उप-प्राचार्य भी रहे।उन्होंने राजकुमार कॉलेज की पत्रिका ‘मुकुट’ का भी सम्पादन किया। उनकी प्रकाशित प्रमुख पुस्तकों में वर्ष 1963 में प्रकाशित देशभक्तिपूर्ण तथा वीर रस से परिपूर्ण कविता संग्रह ‘रक्त का प्रमाण दो’ वर्ष 1963 में प्रकाशित भावपूर्ण काव्य संग्रह ‘लहर और चांद’, वर्ष 1981 में प्रकाशित राष्ट्रीय चेतना से परिपूर्ण काव्य संकलन ‘क्रांति के शोले’, वर्ष 1985 में प्रकाशित खण्ड काव्य ‘झासी की रानी’, वर्ष 1988 में प्रकाशित ‘आजादी और नेहरू’, वर्ष 1998 में प्रकाशित ‘मुक्ति आंदोलन और क्रांतिकारी’, वर्ष 1998 में ही प्रकाशित गणेशंकर विद्यार्थी, चन्द्रशेखर आजाद, शहीद भगत सिंह और रामप्रसाद बिस्मिल की जीवनी पर आधारित किताबें उल्लेखनीय हैं। इसके अलावा उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता की स्वर्ण जयंती के मौके पर छत्तीसगढ़ के कवियों के सहयोगी काव्य संकलन ‘सुमनांजलि’ का भी सम्पादन और प्रकाशन किया।  उनकी लिखी ‘राष्ट्र नायक छत्रपति शिवाजी’ की जीवन गाथा वर्ष 2001 में, महाराणा प्रताप की जीवन गाथा वर्ष 2002 में, गुरूनानक देव की जीवन गाथा वर्ष 2003 में, गुरू गोविन्द सिंह जीवन गाथा वर्ष 2004 में और देश के अनेक प्रमुख शहीदों की जीवन गाथा ‘याद करो कुर्बानी’ वर्ष 2004 में प्रकाशित हुई। उन्होंने बच्चों के लिए शिशु गीत माला और बाल गीत गंगा जैसे काव्य संग्रहों की भी रचना की। 
    उनका अंतिम संस्कार कल यहां मारवाड़ी श्मशान घाट में किया गया, जहां छत्तीसगढ़ हिन्दी साहित्य मण्डल के अध्यक्ष श्री अमरनाथ त्यागी सहित बड़ी संख्या में साहित्यकारों और प्रबुद्ध नागरिकों ने उपस्थित होकर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की।   --  स्वराज्य करुण 

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